दुर्वासा ऋषि स्थल
दुर्वासा ऋषि स्थल पर श्रद्धालु, भगवान शिव व दुर्बासा ऋषि का दर्शन कर अपनी मनोकामना पूरी करते हैं। श्रावण मास, कार्तिक मास सहित विभिन्न पर्वों पर प्रतिवर्ष यहां मेले का आयोजन होता है, जिसमें श्रद्धालुओं की अपार भीड़ होती है। यह आश्रम तमसा एवं मंजूषा नदी के संगम पर स्थित है। पौराणिकता के अनुसार, यहाॅं 100 पापों से मोक्ष की प्राप्ति हेतु प्राचीन समय में लोग कार्तिक पूर्णिमा के दिन तमसा-मंजूषा के संगम पर स्नान करते थे। प्रत्येक कातिक पूर्णिमा को यहां लगने वाले तीन दिवसीय मेले में विभिन्न राज्यों से लगभग 2 से 3 लाख श्रद्धालु स्नान करने आते हैं। कहा जाता है कि महर्षि दुर्वासा 12 वर्ष की आयु में चित्रकूट से इस स्थल पर आकर कई वर्षों तक साधना पूर्ण की। पौराणिक कथाओं के अनुसार सतयुग, त्रेतायुग व द्वापर युग में महर्षि दुर्वासा का स्थान श्रेष्ठ माना गया है। मूर्ति का एक मान्यता यह भी है कि शायद ही कोई मूर्ति को खुली आॅंखों से कुछ देर के लिये देख पाता है।
दुर्वासा ऋषि स्थल पर आगन्तुक पर्यटकों में बढ़ोत्तरी, अधिकाधिक पर्यटन विकास, स्थानीय लोगों के रोजगार सृजन एवं पूंजी निवेश में बढ़ोत्तरी के दृष्टिकोण पर्यटन विकास के कार्यों को कराया गया है, जिससे लोग लाभांवित हो रहे हैं।