चन्द्रमा ऋषि आश्रम
चन्द्रमा ऋषि आश्रम तमसा एवं सिलनी नदी के संगम पर स्थित है। राम नवमी तथा कार्तिक पूर्णिमा पर यहां मेला लगता है, यहां दूसरे जनपदों के श्रद्धालु भी आस्था व विश्वास के साथ चन्द्रमा ऋषि का दर्शन करने आते है। चन्द्रमा हिन्दू धर्म के नौ ग्रहों में से एक हैं। उन्हें सोम, रजनीपति, क्षुपरक और इंदु नामों से भी जाना जाता है। चन्द्रमा ऋषि को ब्रह्म अवतार के रूप में माना जाता है। पौराणिकता के अनुसार, अत्रि ऋषि 3000 वर्ष तक बिना पलक झपकाए खड़े रहे, फिर उनका शरीर सोम से ओत-प्रोत हो गया तो वह स्वयं सोम के रूप में आकर इतने रस से परिपूर्ण हो गये कि आकाश उनके तेज से भर गया। दसों दिशाओं की देवियाॅं उस सोम को प्राप्त कर अपने गर्भ में समेट लिया। लेकिन उसे अधिक समय तक धारण ना कर पाने के कारण उनका भ्रूण जमीन पर गिरा और चन्द्रमा का रूप धारण कर लिया। सभी देवताओं ने चंद्रमा की पूजी की।
चन्द्रमा ऋषि स्थल पर आगन्तुक पर्यटकों में बढ़ोत्तरी, अधिकाधिक पर्यटन विकास, स्थानीय लोगों के रोजगार सृजन एवं पूंजी निवेश में बढ़ोत्तरी के दृष्टिकोण पर्यटन विकास के कार्यों को कराया गया है, जिससे लोग लाभांवित हो रहे है।