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ऋषि दत्तात्रेय का मन्दिर

श्रेणी धार्मिक

ऋषि दत्तात्रेय का मन्दिर तमसा एवं कुँवर नदी के संगम पर स्थित है। यहां शिवरात्रि के दिन प्रतिवर्ष मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें श्रद्धालुओं की अपार भीड़ होती है। दत्तात्रेय जयंती हिन्दू कैलेंडर के अनुसार पूरे देश में मार्गशीर्ष (अग्रहायण) महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। दत्तात्रेय ऋषि अत्रि और उनकी पत्नी अनुसुईया के पुत्र थे। ऋषि दत्तात्रेय को तीन देवताओं का रूप माना जाता है- ब्रह्मा, विष्णु और महेश। खास बात यह है कि सतयुग में जब पेड़ों और जल स्त्रोतों की कोई कमी नहीं थी, तब भी उन्होंने धार्मिक कार्यों के साथ-साथ जल और पर्यावरण संरक्षण और परोपकार की शिक्षा प्रदान की। ऋषि दत्तात्रेय संत विद्या के साथ अद्योर विद्या के भी ज्ञाता थे।
ऋषि दत्तात्रेय स्थल पर आगन्तुक पर्यटकों में बढ़ोत्तरी, अधिकाधिक पर्यटन विकास, स्थानीय लोगों के रोजगार सृजन एवं पूंजी निवेश में बढ़ोत्तरी के दृष्टिकोण पर्यटन विकास के कार्यों को कराया गया है, जिससे लोग लाभांवित हो रहे हैं।