भैरव बाबा स्थल
भैरव बाबा का विशाल एवं अति प्राचीन मंदिर आस्था एवं श्रद्धा का केन्द्र है। प्रत्येक वर्ष यहां ज्येष्ठ मास के गंगा दशहरे पर एक सप्ताह तक मेले का आयोजन होता है, जिसमें अन्य जनपदों के श्रद्धालु मेला एवं भैंरव बाबा का दर्शन करने के लिए आते हैं। मान्यता के अनुसार, भगवान शिव के आदेश पर राजा दक्ष प्रजापति के यज्ञ का विध्वंस करने के बाद काल भैरव दक्षिणमुखी होकर यहां विराजमान हुये थे। अन्य पारम्परिक संस्कार जैसे- मुण्डन और जनेऊ संस्कार के लिये श्रद्धालु विभिन्न जनपदों से यहां पर आते हैं। पौराणिकता के अनुसार, भैंरव बाबा मंदिर की उत्पत्ति के विषय में जनश्रुतियों एवं वेदों में भी निहित है। स्थानीय लोगों के अनुसार, प्राचीन समय में दो सौ से अधिक कुएॅं यहाॅं स्थित थे, जिसका कारण बताया जाता है कि राजा दक्ष के यज्ञ में 360 पंडितों ने भाग लिया था और हर पंडित के लिये एक अलग कुआं था।
भैरव बाबा स्थल पर आगन्तुक पर्यटकों में बढ़ोत्तरी, अधिकाधिक पर्यटन विकास, स्थानीय लोगों के रोजगार सृजन एवं पूंजी निवेश में बढ़ोत्तरी के दृष्टिकोण पर्यटन विकास के कार्यों को कराया गया है, जिससे लोग लाभांवित हो रहे हैं।