माॅं पल्मेश्वरी देवी मंदिर
पुराणों के अनुसार, माँ पाल्मेश्वरी धाम स्थल पर महाराजा दक्ष ने एक यज्ञ किया था, जिसमें भगवान भोले शंकर को निमन्त्रण नहीं दिया था, उनके मना करने पर देवी सती अपने पिता के घर यज्ञ में सम्मिलित होने चली आयीं। यहां पति का स्थान न पाकर क्रोध में अग्निकुण्ड में कूदकर अपनी जान दे दी। पौराणिकता के अनुसार सती के यज्ञ कुण्ड में कूदने की सूचना पर भगवान शंकर काल भैरव को भेजकर यज्ञ को विध्वंस कर दिया और सती के शव को कंधे पर रखकर ब्रह्माण्ड का विचरन करने लगे, जिसके कारण तीनों लोकों में भूचाल आ गया, तत्पश्चात् भगवान विष्णु ने सती के शव को सुदर्शन चक्र से काटना शुरू किया। मान्यता के अनुसार, देवी के घुटने से लेकर पैर तक का भाग पल्हना में गिरा, जो आज पल्मेश्वरी देवी के नाम से पूजित हैं।
माॅं पल्मेश्वरी देवी स्थल पर आगन्तुक पर्यटकों में बढ़ोत्तरी, अधिकाधिक पर्यटन विकास, स्थानीय लोगों के रोजगार सृजन एवं पूंजी निवेश में बढ़ोत्तरी के दृष्टिकोण पर्यटन विकास के कार्यों को कराया गया है, जिससे लोग लाभांवित हो रहे है।